Encounter with a guard in hong kong
हमारी फ्लाइट जब हाँग काँग में लैंड हुई तो सबसे पहले हमें इमिग्रेशन क्लेयर करना था। भगवान जाने वहाँ क्या प्रॉब्लेम हुई इमिग्रेशन ऑफिसर ने हमारा (मेरा और मेरी वाइफ का) पासपोर्ट तो ओके कर दिया लेकिन मेरी 3 साल की बेटी के पासपोर्ट को बहुत देर तक ध्यान से देखता रहा उसके बाद उसने किसी और को भी बुला लिया और फिर दोनों उसे देख कर कुछ बातें करते रहे। इस स्थिति में हम दोनों का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा था। हमें लगा की जरूर कुछ पंगा हुआ है पासपोर्ट या किसी और डॉक्यूमेंट में।
मैंने डरते डरते ऑफिसर से पूछा की क्या प्रॉब्लेम है, तो दोनों ने इनकार में सिर हिलाया लेकिन फिर भी दोनों उस पासपोर्ट को बहुत देरतक देखते रहे और बातें करते रहे, अंत में बिना कुछ बोले उन्होंने स्टाम्प लगा दिया। तब जाकर हमारे जान में जान आई।
लेकिन वहाँ से निकलते निकलते हमें बहुत देर हो गयी और हमें अपने होटल पहुंचते पहुंचते दोपहर करीब 3 बज गए थे। जल्दी जल्दी हम लोगों ने सामान unpack किया और तैयार हो गए विक्टोरिया पीक जाने के लिए। विक्टोरिया पीक हाँग काँग की सबसे ऊंची जगह है और वहाँ से हाँग काँग का विहंगम दृश्य दिखता है। वहाँ जाने के लिए Tram भी चलती है जो की हाँग काँग की सबसे पुरानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाओं में से एक (1888 से जारी) है और आज भी अपने पुराने रूप में चलती है ये ट्राम अपने आप में एक टुरिस्ट अट्रैक्शन है।
हमने अपनी बुकिंग पहले ही Klook के द्वारा करवा रखी थीऔर हमें एक मॉल (मैं नाम भूल गया उस मॉल का ) के पास Exit k के पास पहुंचना था शाम के 5 बजे से पहले।
अब क्योंकि हम लोग नए थे हाँग काँग के लिए और उपर से हम लेट भी हो रहे थे तो जल्दी जल्दी किसी तरह से हम लोग मॉल तक टैक्सी से पहुंचे अब हमें exit k पहुंचना था लेकिन मॉल इतना बड़ा था की exit k को खोजना आसान नहीं था और ऊपर से हमारे पास टाइम भी कम था, तो मैंने सोचा की किसी से हेल्प मांगी जाए।
अब समस्या ये थी की किससे पूछा जाए। एयरपोर्ट वाले और होटल वाले तो अंग्रेजी आसानी से समझ लेते हैं। लेकिन हाँग काँग में सड़क पर चलता हुआ आम आदमी कितनी अंग्रेजी समझता है इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। इसके अलावा उसे रास्ता पता भी है या नहीं ये भी समस्या थी। हमारे पास इतना टाइम नहीं था की हम लोग बहुतों से पूछ पूछ कर exit k खोजें।
तो मैंने मॉल के किसी स्टाफ से पूछने का तय किया। लेकिन अंग्रेजी वाली प्रॉब्लेम तब भी आनी थी। मैं बड़ा परेशान हुआ की क्या किया जाए। लेकिन मजबूरी थी तो मैंने सोचा चलो पहले कोशिश तो की जाए। तभी मुझे एक सिक्युरिटी गार्ड सामने दिखा. वो नीचे झुक कर कुछ कर रहा था। तो मैं उसके पास गया और उससे पूछा “Do you know where is Exit K” (क्या तुम जानते हो exit k कहाँ है)।
उसने एक बार ऊपर की तरफ देखा और बड़े आराम से कहा “हिन्दी समझते हो?“
मुझे जैसे करंट लग गया। हाँग काँग में एक चीनी आदमी एक इंडियन से हिन्दी में पूछ रहा है, तुम्हें हिन्दी आती है। मैंने थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा हाँ आती है। तब उसने कहा चलो मेरे साथ।
हमलोगों की समझ में नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है। मुझे लगा शायद ये चीनी किसी इंडियन के संपर्क में रहता है इसीलिए इसे हिन्दी आती है। खैर मैंने उससे बात शुरू की तो उसने बताया की वो एक नेपाली है और बहुत सालों तक दिल्ली में रह चुका है। उसने बताया की उसे भी exit k नहीं पता लेकिन वो पता लगा कर हमें बता देगा।
उसने रास्ते में कुछ लोगों से पूछा और अंत में हमें हमारे exit k के पास लाकर हमें छोड़ दिया।
हमने उसे धन्यवाद कहा और फिर वो चला गया ।
वहाँ से हमलोग klook के एजेंट से मिले और वहाँ से विक्टोरिया पीक पर गए।

विक्टोरिया पीक से हाँग काँग का नजारा कुछ ऐसा था।
वहाँ की और फोटो देखने और हाँग काँग की और जानकारी के लिए हाँग काँग पर मेरे दूसरे आर्टिकल पढ़ें यदि आपके मन में हाँग काँग को लेकर कोई सवाल हैं तो नीचे कमेन्ट में लिखें मैं पूरी कोशिश करूंगा उनके जवाब देने के।
धन्यवाद