उबर ग्रैब और लोकल टैक्सी का पुराना अनुभव
जब मैं पहली बार मलेशिया गया था तो मैंने सिर्फ़ उबर और ग्रैब से टैक्सी सर्विस का इस्तेमाल किया था. उबर को सब जानते ही हैं और ग्रैब भी उबर की तरह की ही कंपनी है, लेकिन ये उबर जितनी बड़ी नहीं है, ये सिर्फ दक्षिण पश्चिम एशिया के देशों में उपलब्ध है. इसके अलावा मैंने एक दो बार नार्मल टैक्सी सर्विस भी इस्तेमाल की थी और मुझे उबर, ग्रैब और लोकल टैक्सी सर्विस की क़ीमतों में ज़्यादा अंतर नहीं समझ आया था.
मुझे लगा था उपलब्धता के हिसाब से आप कोई भी टैक्सी ले लें. ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. तीनों की सर्विस में मुख्य फ़र्क़ ये था की ग्रैब आपको एक लगभग वाली क़ीमत बताता था. जब आप अपना पिक अप पॉइंट और गंतव्य ग्रैब को बताते थे. ये क़ीमत थोड़ी कम या ज़्यादा हो सकती थी ट्रैफ़िक कंडीशन के हिसाब से. यदि ट्रैफ़िक जाम रहा तो आपकी फाइनल पेमेंट थोड़ी बढ़ सकती थी. जितना आपको शुरुआत में बता गया था. लेकिन उबर आपको एक फिक्स्ड क़ीमत बताता था, भले ही आपको गंतव्य तक पहुँचने में जाम में ही क्यों ना फँसना पड़े. हालाँकि एक उबर ड्राइवर ने मुझे बताया था की यदि ज़्यादा लंबा जाम लग जाता है तो अंतिम क़ीमतें थोड़ी सी बढ़ सकती हैं लेकिन मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था. और लोकल टैक्सी तो सभी जानते हैं, की या तो आप उनसे पहले बात कर के चढ़ो या मीटर से जो बिल आये.
तो मुख्य बात ये थी की पहली बार का मेरा अनुभव टैक्सी को लेके कोई ख़राब नहीं रहा लेकिन अगली बार जब मैं मलेशिया आया तो मेरा अनुभव बदल गया
दोबारा मलेशिया जाने पर
लगभग 2 वर्षों के बाद जब मैं दोबारा मलेशिया गया तो मुझे पता चला की उबर ने अपनी सर्विस मलेशिया में बंद कर दी है और अब सिर्फ़ ग्रैब या लोकल टैक्सी सर्विस ही उपलब्ध है यहाँ.
जब मैं एयरपोर्ट पर उतर कर टैक्सी स्टैंड तक पहुँच और मुझे पता चला की उबर नहीं उपलब्ध है तो मैंने सोचा अभी ग्रैब का APP डाउनलोड करने की बजाय लोकल टैक्सी ही ले लेता हूँ. बाद में डाउनलोड कर लूँगा ग्रैब का ऐप.
मैंने वहाँ एक टैक्सी से बात की और उसने जो क़ीमत मुझे बताई वो मुझे थोड़ी ज़्यादा लगी. लेकिन मैंने सोचा हो सकता है मेरा होटल थोड़ा ज़्यादा दूर हो इसलिए इसने ज़्यादा क़ीमत बताई है. और मैंने ज़्यादा उसे बुक कर लिया.
लेकिन जब मैं अपने होटल पहुँचा तो मुझे लगा की मैंने कुछ ज़्यादा रक़म चुकाई दूरी के हिसाब से. लेकिन मैंने बात पर इतना ध्यान नहीं दिया क्योंकि एक तो मैं रात को 2 बजे एयरपोर्ट पर उतरा था तो मुझे लगा शायद नाईट चार्जेज़ एक्स्ट्रा लग गये होंगे इसके अलावा दो वर्षों में किराया भी थोड़ा बढ़ गया होगा.
अगले दो तीन दिन
अगले दो दिनों में मैंने कई बार टैक्सी ली और ज़्यादातर मैंने लोकल टैक्सी ही ली, अब मुझे समझ आ रहा था की लोकल टैक्सी वाले बदमाशी कर रहे हैं और कभी तो सीधे सीधे ज़्यादा चार्ज कर रहे हैं और कभी मुझे लंबा घुमा कर मीटर चार्ज बढ़ा रहे हैं. मुझे थोड़ा ग़ुस्सा भी आने लगा था इन सब पर. आप पूछोगे की आपको कैसे पता की ये आपको लंबा घुमा रहे थे. तो वो ऐसे की कई बार मैंने अपने डेस्टिनेशन पर पहुँचने के बाद गूगल मैप्स पर चेक किया तो पता चला की जहां से टैक्सी मैंने पकड़ी थी और जितना दूरी का किराया मैंने दिया है वो उसका अंतर लगभग दो गुना है. जैसे ट्विन टावर से मेरे होटल की दूरी लगभग 3 किलोमीटर थी लेकिन मैंने 5 किलोमीटर से ज़्यादा का किराया चुकाया था.
बॉम्बे पैलेस रेस्टोरेंट से मैंने फिर से टैक्सी पकड़ी.
दूसरे दिन सा को हमलोग बॉम्बे पैलेस रेस्टोरेंट में डिनर करने गये और वहाँ से निकालने पर मैंने एक टैक्सी वाले को हाथ दिया. ये एक दक्षिण भारतीय था जो यहाँ रहता और टैक्सी चलाता था. मलेशिया में बहुत से भारतीय रहते हैं. ख़ास तौर पर दक्षिण भारतीय तो बहुत ही ज़्यादा हैं. यहाँ तक कि यहाँ एक एरिया नाम ही लिटल इंडिया है. यहाँ मुख्यतः भारतीयों की दुकाने हैं और इनके ग्राहक भी लोकल और बाहर से आने वाले पर्यटक भारतीय और ही हैं. ख़ैर लिटल इंडिया के बारे में बात किसी और पोस्ट में.
उसने कहा वो मीटर से चार्ज करेगा. मैंने स्वीकार किया और टैक्सी में चढ़ गया. लेकिन अभी मैंने पहले ही चेक कर लिया था की मेरे होटल की दूरी यहाँ से लगभग 2 -2.2 km के आस पास है. और थोड़ी ही देर में मुझे समझ आ गया की ये टैक्सी वाला मुझे घुमा रहा है. मुझे बहुत तेज ग़ुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने अपने ग़ुस्से को कंट्रोल में रखा. क्योंकि मैं परदेस में था और मेरे साथ मेरी पत्नी और छोटी सी बेटी भी थी. मैं नहीं चाहता था की बीच रास्ते में कोई लफड़ा हो जाये. हो सकता है बात बढ़ जाये और तो मैं यहाहँ संभल भी नहीं सकूँगा. इसलिए चुप रहा.
ख़ैर जब हमलोग होटल पहुँच गये तो मैंने अपनी पत्नी और बेटी को बोला की तुमलोग अंदर जाओ मैं टैक्सी को पैसे दे कर आता हूँ. अब क्योंकि मैं होटल के कैंपस के अंदर था तो मैं ख़ुद को बहुत सुरक्षित महसूस कर रहा था की यहाँ ये मेरा कुछ नहीं कर सकता यदि बात बढ़ती भी है.
ड्राइवर का पारा चढ़ गया
मेरी पत्नी को भी मैंने अभी तक कुछ नहीं बताया था की मैं ड्राइवर से कोई बात करने वाला हूँ या ऐसा कुछ. वो टैक्सी से उतर कर थोड़ी दूरी पर होटल बिल्डिंग के गेट पर खड़ी हो गई और मेरा इंतज़ार करने लगी.
अब मैं टैक्सी ड्राइवर के आप गया तो उसने मुझे बताया की की लगभग 8.5 km की दूरी उसने तय की है और उसका लगभग 45 मलेशियन रिंगिट मुझे उसे देने हैं. तो मैंने उससे कहा थोड़ी देर इंतज़ार करो पुलिस को बुलाता हूँ वो तुमसे कुछ बात करेगी और तब मैं तुम्हें पैसे दूँगा. वो हड़बड़ा गया और उसने पूछा पुलिस क्यों. मैं कोई एक्स्ट्रा तो नहीं माँग रहा जितनी दूरी टैक्सी चली है उसका मीटर के हिसाब से ही तो किराया माँ रहा हूँ. तो मैंने उससे कहा जहां से हमने टैक्सी पकड़ी थी वहाँ से यहाँ की दूरी सिर्फ़ 2 किमी है और तुमने मुझे 8 किमी घुमाया. उसने कहा हाँ मैं दूसरे रास्ते से आया क्योंकि वो रास्ता जाम था. मैंने कहा हाँ मुझे पता है. और वही तुमसे पुलिस पूछेगी की कौन सा रास्ता जाम था और कितना जाम था जो तुमने 2 किमी के बजे 8 किमी वाला रास्ता चुना.
अब टैक्सी ड्राइवर को समझ आ चुका था की वो फँस गया है. और वो ग़ुस्से में आकर मेरे को गालियाँ देने लगा. हालाँकि मुझे थोड़ा दर तो लग रहा था फिर भी मुझे विश्वास था की यदि ये ड्राइवर कुछ उल्टा सीधा करने की कोशिश करेगा तो होटल का स्टाफ और गार्ड मेरी हेल्प करेंगे.
ख़ैर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वो बस चिल्लाता हुआ हड़बड़ी टैक्सी में बैठा और बिना पैसे लिए वहाँ से बहग गया. उसे समझ आ चुका था की यदि वो यहाँ रुकता है तो लंबी मुसीबत में पड़ जाएगा.
उस दिन के बाद मैंने कान पकड़ लिए लोकल टैक्सी से और सिर्फ़ ग्रैब ही मैंने इस्तेमाल किया उस दिन के बाद से जब तक मैं मलेशिया में रहा.
फाइनल टिप
जो मैंने महसूस किया उसके हिसाब से पहले जब उबर था तो टैक्सी ड्राइवरों को एक डर था लेकिन उबर के जाने के बाद उनको समझ आ गया था की अब लोगों के पास ज़्यादा ऑप्शन नहीं हैं और वो जो माँगेंगे वो लोगों को देना ही होगा. इसके अलावा पर्यटकों को रास्ते का ज़्यादा ज्ञान नहीं होता इसलिए उनको घुमा फिरा कर अच्छे पैसे ऐंठे जा सकते हैं.
तो मेरा अनुभव यही कहता है की जब आप नये जगह पर जायें तो हमेशा रेडियो टैक्सी या ऐप बेस्ड टैक्सी ही इस्तेमाल करें. ये आपको कभी ठगेंगे नहीं. हाँ ये हो सकता है की नार्मल टैक्सी से इनका चार्ज थोड़ा ज़्यादा हो लेकिन फ़िर भी ये ओवर ऑल आपको सस्ता ही पड़ेगा.